डेटा प्रोटेक्शन बिल 2025 लागू: भारत ने शुरू किया डिजिटल गोपनीयता का नया अध्याय
नई दिल्ली, 11 जून 2025: भारत ने बुधवार को डेटा प्रोटेक्शन बिल 2025 को लागू कर डिजिटल गोपनीयता के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक कदम उठाया। यह कानून व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा सुनिश्चित करता है और उपभोक्ताओं को अपनी जानकारी पर पूर्ण नियंत्रण देता है। यूरोप के जनरल डेटा प्रोटेक्शन रेगुलेशन (GDPR) से प्रेरित यह बिल भारत को डिजिटल दुनिया में एक जिम्मेदार शक्ति के रूप में स्थापित करता है। केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने इसे डिजिटल भारत मिशन की सबसे बड़ी उपलब्धि बताया।
बिल के प्रमुख प्रावधान
डेटा प्रोटेक्शन बिल 2025 में कई सख्त नियम शामिल हैं। कंपनियों को डेटा एकत्र करने से पहले उपयोगकर्ता की स्पष्ट सहमति लेनी होगी। संवेदनशील डेटा, जैसे वित्तीय और स्वास्थ्य जानकारी, को भारत में ही सर्वर पर स्टोर करना अनिवार्य है। उल्लंघन करने वाली कंपनियों पर 250 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने संसद में कहा, “यह बिल गोपनीयता को मौलिक अधिकार बनाता है। यह डिजिटल अर्थव्यवस्था में विश्वास बढ़ाएगा।” बिल में एक स्वतंत्र डेटा प्रोटेक्शन अथॉरिटी की स्थापना का प्रावधान है, जो नियमों के कार्यान्वयन की निगरानी करेगी। उपभोक्ता अपने डेटा को हटाने या संशोधित करने का अनुरोध कर सकते हैं।
बिल का विकास और पृष्ठभूमि
भारत में डेटा प्रोटेक्शन कानून की जरूरत 2010 के दशक में महसूस हुई, जब डिजिटल भुगतान, ई-कॉमर्स, और सोशल मीडिया का उपयोग तेजी से बढ़ा। 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने गोपनीयता को मौलिक अधिकार घोषित किया, जिसने इस दिशा में काम को गति दी। 2018 में जस्टिस श्रीकृष्ण समिति ने डेटा प्रोटेक्शन के लिए एक मसौदा प्रस्तुत किया। कई संशोधनों और संसदीय चर्चाओं के बाद यह मसौदा 2025 में कानून बना।
पिछले कुछ वर्षों में डेटा उल्लंघन की घटनाएँ बिल की आवश्यकता को रेखांकित करती हैं। 2023 में एक प्रमुख फिनटेक कंपनी का डेटा लीक हुआ, जिसमें लाखों उपभोक्ताओं की जानकारी चोरी हो गई। Ministry of Electronics and IT ने बताया कि बिल ऐसे उल्लंघनों को रोकने के लिए बनाया गया है।
डिजिटल अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
डेटा प्रोटेक्शन बिल डिजिटल अर्थव्यवस्था को कई तरह से प्रभावित करेगा। यह उपभोक्ताओं को ऑनलाइन लेनदेन में सुरक्षा की गारंटी देगा, जिससे ई-कॉमर्स और डिजिटल बैंकिंग को बढ़ावा मिलेगा। बिल का डेटा स्थानीकरण नियम भारत में डेटा सेंटर उद्योग को प्रोत्साहित करेगा। अमेज़न, माइक्रोसॉफ्ट, और गूगल जैसी कंपनियाँ पहले से ही भारत में डेटा सेंटर स्थापित कर रही हैं।
2025 के बजट में सरकार ने डेटा सेंटर के लिए 10,000 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। यह नीति भारत को वैश्विक डेटा हब बनाने की दिशा में एक कदम है। Economic Times के अनुसार, डेटा सेंटर उद्योग 2030 तक 100 बिलियन डॉलर का हो सकता है।
चुनौतियाँ और कार्यान्वयन
बिल के सामने कई चुनौतियाँ हैं। छोटी कंपनियों के लिए सख्त नियमों का अनुपालन करना महंगा हो सकता है। ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल साक्षरता की कमी उपभोक्ताओं के लिए बाधा है। साइबर सुरक्षा एक और बड़ा मुद्दा है, क्योंकि डेटा उल्लंघन के मामले बढ़ रहे हैं।
सरकार ने इन चुनौतियों से निपटने के लिए कदम उठाए हैं। डेटा प्रोटेक्शन अथॉरिटी छोटे व्यवसायों को अनुपालन में सहायता देगी। डिजिटल साक्षरता के लिए राष्ट्रीय अभियान शुरू किया गया है, जिसके तहत 1000 शहरों में प्रशिक्षण शिविर आयोजित किए जा रहे हैं। राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा एजेंसी को डेटा उल्लंघनों से निपटने के लिए और सशक्त किया गया है।
वैश्विक परिप्रेक्ष्य
भारत का डेटा प्रोटेक्शन बिल वैश्विक स्तर पर सराहा जा रहा है। यह GDPR और कैलिफोर्निया के डेटा प्रोटेक्शन कानून के समकक्ष है। विश्व बैंक ने इसे विकासशील देशों के लिए एक मॉडल बताया। World Bank की एक रिपोर्ट में कहा गया कि भारत का बिल डिजिटल विश्वास को बढ़ाने में मदद करेगा।
चीन, सिंगापुर, और ब्राजील जैसे देश भी अपने डेटा प्रोटेक्शन कानूनों को मजबूत कर रहे हैं। भारत का बिल उसे वैश्विक डिजिटल अर्थव्यवस्था में अग्रणी बनाता है।
भविष्य की दिशा
डेटा प्रोटेक्शन बिल डिजिटल भारत के लिए एक नई शुरुआत है। यह साइबर अपराधों को कम करेगा और डिजिटल लेनदेन को सुरक्षित बनाएगा। बिल के कार्यान्वयन से भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था को 2030 तक 1 ट्रिलियन डॉलर तक ले जाने का लक्ष्य है। यह कानून टेक स्टार्टअप्स, ई-कॉमर्स, और हेल्थकेयर जैसे क्षेत्रों में नवाचार को बढ़ावा देगा।
हिंदी भाषी क्षेत्रों में इस बिल ने डिजिटल गोपनीयता पर बहस को तेज किया है। सरकार ने उपभोक्ताओं से बिल के तहत अपने अधिकारों का उपयोग करने की अपील की है।